मेरे नैनीताल यात्रा का अनुभव जिसने मुझे बहुत सिखया है

मेरे नैनीताल यात्रा का अनुभव जिसने मुझे बहुत सिखया है

मेरा परिचय 

 दोस्तों पहले मैं आपको अपने बारे में बताती हूँ। मैं एक गारमेंट एक्सपोर्टर हूँ, मुझे मेरे काम से जब कभी  कभी भी फुरसत मिल जाती है तो मैं और मेरे पति सेर-सपाटे के लिए  निकल जाते हैं, अपने ख़रगोश के साथ जो कि हमारे साथ 4 साल से है । 

इस बार कहाँ गए हम घूमने 

     इस बार मुझे समय मिल था अगस्त के महीने में, क्योंकि अगस्त के महीने में गारमेंट सेक्टर में  कम होता है। मैने आने पति से बोला कि चलो कही  घूमने चलते हैं , उन्होंने बोला ठीक है चलते हैं पर ये बताओं कहाँ चलना चाहिए हमे।  मैं बोली नैनीताल चलते हैं, जहाँ मैं अपने  बचपन में परिवार के साथ गयीं थी। 
     उसके बाद पढ़ाई, और फिर ऐसा व्यपार का होना जहाँ आप अगर दिन और रात भी एक कर दोगे तब भी शायद आपका काम खत्म नही होता है क्योंकि आज कल के कारीगर सब पहले जैसे नही रहे। खैर छोड़िये इन सब बातों को इस बार मैं नैनीताल दूसरी  बार जा रही थीं, मुझे इतनी खुशी थीं,कि मैं बता नही सकती। क्योंकि ये मेरी शादी के 5 साल बाद मुझे यानि हम दोनों को समय मिला था।
      इस पर मैंने बहुत सारे विचार बना रखे थे, की वहां जानें पर मुझे कहाँ घूमने जाना है सबसे पहले। पर यहां मुझे एक डर था कि मेरे पति किसी प्रोजेक्ट के चलते वहाँ जाने का प्रोग्राम को टाल ना दे। 
     इस पर मैंने क्या किया? पहले से पूरी तैयारियां कर ली और कपड़ो की खरीदारी करने के लिए मैंने कैसे उनको बोला आपको शायद सुनकर हंसी आएगी,मैंने उनको बोला कि सितंबर में आपका जन्मदिन आने वाला है और अभी हमारे पास समय भी है।मुझे अपने लिए और आपके लिए कुछ खरीदना है , इस पर उन्होंने जवाब दिया कि ,'तुम चली जाओ और जो लेना है ले आओ' पर मैं कहाँ मानने वाली थी, इस पर मैने बोला,कि मैं अगर अकेले निकल गयी तो आप का काम कौन करेगा और अगर आप बाहर चलेंगे तो इस बहाने बाहर कुछ खाना भी हो जाएगा। 
    इस बात पर वो मान गए। और उन्होंने हामी भर दी, मेरे साथ जाने की ये अवसर बहुत दिनों के बाद आया मुझे बहुत ज्यादा ख़ुशी थी। मैंने उस दिन जल्दी-जल्दी घर का सारा काम समेटा और अपने खरगोश जिसका नाम मैंने चुरका रखा था उसको खाना दिया और उसको बोली ज्यादा बादमाशी मत करना, आराम से रहो। हम बाहर जा रहे हैं खरीददारी  करने के लिए चुरके ने भी हामी भरी और मैंने घर को लॉक लिया और हम चल दिये बाहर। 
      ये 5 साल के बाद मेरे लिए पहला मौका था जब हम दोनों बाहर जा रहे हो,क्योंकि मेरे पति नैनिताल लगभग 14 या 15 बार जा चुके थे पर जब वो आफिस में जॉब किया करते थे। पर जब से हमने काम शुरू किया तब के बाद ये मेरे लिए पहला मौका था। आज मैंने उनको बोला कि आज हम स्कूटी से चलते है गाड़ी में बैठ कर मैं आज नही जाऊंगी, फिर उन्होंने स्कूटी निकाली और हम बाज़ार गए खरीदी करी, फिर मूवी देखी, इसके बाद खाना खाया और फिर घर को आ गए । 
     आज मुझे ऐसा लग रहा था मानो मैं भी जो चाहूँ कर सकती हूं कहने का मतलब है, की आज मैं सभी कामों से दूर अपने लिए बाहर गयी , सुकून मिला और ये आये खाना तो पहले  ही खा लिया था वो चले गए सोने के लिए और मैं आ गई चुरके के पास उसको बताया सब कुछ फिर मेरे दिमाग मे एक बात आयीं की कल कहीं  उनका दिमाग़ बदल गया तो मैं कहीं की नही रहूंगी।  मैंने आपने फ़ोन से  नैनीताल के लिए 2 टिकट बुक करा लिए रात को ही। और सुबह होते ही जब मैंने बात की  तो उन्होंने बोला क्या  लेने जाना है, वहाँ सब कुछ  यही से जाता है, मैंने इस पर कुछ नही बोला। और जब वो स्नान के लिए गए तब मैंने उनके टॉवल के साथ ही अपना फ़ोन दे दिया ये कहकर की कि गारमेंट बायर की मेल आयी है उन्होंने दाहिने  हाथ मे फ़ोन ले लिया और जीमेल आईडी खोल कर देखा तो उसमें पहला मेल हमारी 2 टिकटों का था। 
     इस पर वो गुस्सा भी नही कर पाए ,और उन्होंने बोला की चलो जब तुम नहीं मानोगी तो मैंने बैग और जो भी जरूरी लगा सब कुछ पैक कर लिया था। और फिर चुरके ( हमारा खरगोश ) का भी स्नान कराकर जाने के लिए तैयार कर लिया फिर हम बस जहाँ से हमे लेने आने आने वाली थी। वहां के लिए मैंने चुरके को नवजात शिशुओं की तरह अपनी गोद मे लिया और फिर हमने कैब की और  बस के पास पहुँच गए बस में बैठ गए।  जहा मैंने चुरके को हम दोनों के बीच मे बैठा लिए और इस पर एक दंपति ने मुझसे कहा कि जब बच्चा नही संभल रहा है तो उसको घर मे दे कर आना चाहिए, मैंने भी कि जब  घर मे हमारे सिवा कोई है ही नहीं तो बच्चा कौन देखेगा। पर उस दंपत्ति को पता नही था,की मेरे साथ कोई बच्चा नही है, ये मेरा चुरका है ,जिसको मैँने कपड़े से लपेट रखा है।

आख़िरकार हम निकल पड़े नैनीताल की सैर पर 

जैसे-जैसे बस ने अपना सफर तय करना शुरू किया वैसे-वैसे मेरी ख़ुशी का ठिकाना नही रहा। रात में बस वाले ने के एक ढाबे पर बस लगाई और खाना खाने को बोला गया। मैंने अपने पति को उठाया नीँद से क्योंकि वो कहीं भी सो जाते हैं उनको बस थोड़ा सा सहारा मिलना चाहिए।
     फिर हम गए बाहर और खाना खाया और अपने चुरके को भी खाना खिलाया। चुरके के बारे में आप सब को पढ़ कर हैरानी होगी कि मेरा चुरका खरगोश हो कर भी, न तो घास खाता था ना ही पत्ते वो इंसानों की तरह खाता था। यहाँ मैं उसकी फोटो लगाउंगी आप देखना। 
       हमने खाना खा लिया और बस में बैठ गए,बस वाले ने सुबह 5 बजे हमे नैनीताल पहुंचा दिया बस से उतरकर हमने चाय की चुस्कियां लीं  और चुरके को मट्ठी खिलाई। नैनीताल का दृश्य जब आप देखते हैं तो आपको लगता है कि जैसे आप स्वर्ग में आ गए हों कही भी शोर नही न ही भीड़ और न ही प्रदूषण।
     हम पैदल चलते हुए मेरे पति के जानने वाले के हेरिटेज होटल रॉयल पैलेस में पहुच गए और कमरा लिया और फ्रेश होने के बाद हम सो गए।और चुरका भी नई जगह में आया था,वो तो हमारे बीच मे आ कर सो गया,उसको कोई डर नही लगता कि उसका पैर दब जाएगा हाथ दब जायेग। और फिर हम उस दिन तो कहीं घूमने नही गए। 

घूमने का पहला दिन 

आगले दिन मेरे पति की जानकारी वाले भैया के साथ हम नैनीताल के सारे स्पॉट्स घूमे और वहाँ खान खाया और होटल चले आये।
जब हम अपने कमरे में पहुचते है,तो देखते है कि चुरका ब्लैंकेट में घुस कर सो रहा था,मैं आपको बताऊ तो हम 26 दिन रहे थे, नैनीताल में और उन 26 दिनों में चुरका बेड से नीचे नही उतरा।उसको खाना हमने जब भी खिलाया बेड पर ही। इस तरह से दूसरा दिन बीत गया हमारा।

दूसरे दिन घूमने की शुरुआत 

तीसरे दिन हम सातो ताल देखने गए वो देखा हमने जिसमे से सबसे ऊँचाई पर नकुचिया ताल था। जहाँ से पैरा ग्लाइडिंग भी की जाती है। और फिर वहाँ से आने के बाद माल रोड पर गेम पार्लर था, वहां  हमने जा कर खूब गेम खेला और 6 बजे नवाज़ की आवाज आई तो मैंने अपने पति को पूछा तो उन्होंने बोला की यहा भी मस्ज़िद है, जाना है क्या? उन्होंने  तो मज़ाक में बोल दिया पर मुझे तो देखना था मस्ज़िद को अंदर से कैसे होती है मस्ज़िद, मैंने ज़िद्द करी तो मेरे पति मुझे ले कर गए मस्जिद गए और वहाँ के मौलाना साहब से पूछ कर मैं अंदर गयी और फिर  मौलाना साहब ने हमे बताया वुजू करना। 
     वुजू कर कर वो हमें वहां ले गए जहाँ पर नवाज़ अता की  जाती है, मैंने पूछा भी मौलाना साहब को उन्होंने सब बताया भी और ये भी कहा कि सभी धर्मों का सार एक ही है बेटा, ये तो हमारी आपकी सोच को,हमारे यहाँ नबी साहब ने और आपके पंडित जी ने राजनीति फायदा उठाने के लिए धर्म मे ऐसे बदलाव किए की आज हिन्दू मुस्लिम हो रहा है , और हमारे देश मे और भी कौमें होती है। तो हिन्दू बनाम और कोई धर्म का नाम क्यों नही लिया जाता है ,क्योंकि बेटा जी ये सब हमारे और आपके पंडित और नबी साहब ने धर्म का राजनीतिकरण कर दिया है। और सभी को अपने अपने धर्म की पूरी जानकारी न होने के कारण से हम आपस मे लड़ते-मरते रहते है। मैं बात कर ही रही थी, कि मेरे पति ने कहा कि चुरके को भी खाना खिलाना है ,चलो।  
      अब मैं वहाँ से चली तो आयी ! पर मेरे मन मे मौलाना साहब की बात चलती रही, और हमने फिर जा कर खाना खाया और चुरके के लिए खाना लिया और अपने होटल में आ गए। देर होने के कारण चुरका गुस्सा हो कर ब्लैंकेट के अंदर छिपने की कोशिश कर रहा था जैसे मानो कह रहा हो कि कहाँ थे, अब तक मैंने उनको मनाया और खाना खिलाया। और जब हम रात को सोने के लिए जाने वाले थे,तो मैंने बहुत हिम्मत करके अपने पति जी से पूछा कि मौलाना साहब जो कह रहे थे वो सच है , इस पर मेरे पति का जवाब संतोषजनक नही था। कहने का मतलब ये है कि जो मैंने पूछा उनसे उसका जवाब उन्होंने दिया नही,मुझे नही पता कि  वो मुझे बताना क्यों नही चाहते थे, उन्होंने मुझे बोला कि इस पर बात और चर्चा करने के लिए हमारे देश में नेता बहूत है तुम बेकार के चक्कर मे मत पड़ो, और फिर बोला उन्होंने कि  इंसान इंसान होता है।
      अगर मुस्लिम और हिन्दू या किसी भी जाति के बच्चे को पैदा होते ही मान अगर जंगल में छोड़ दिया जाए और फिर वो ऐसा बोल सकेंगे कि, मैं हिंदू हु ,मैं मुसलमान हु ,और मैं सिख हु।और इस तरह से तीसरा दिन बीत गया। 
     चौथे दिन हम हॉर्स राइडिंग भी करी। यहाँ जो बात तीसरे दिन हुई थी मेरे साथ उसने मेरे मन मे जिज्ञासा बढ़ा दी। और जब मैंने इन सब बातों पर ध्यान देने लगी तो मुझे पता चला कि ऐसा है अपने कंट्री में और उसको कैसे दूर करे ये समझना है बस, क्योंकि हमारा देश धार्मिक सहिष्णुता वाला देश है, हमारा देश सभी धर्मों को मिला लेने वाला देश है, हमारे देश के अगर इतिहास जाए तो सभी धर्मों के लोगो ने इसे जीत कर अखंड भारत बनाया था पर कुछ लोग सभी धर्मों के है, जो अपने लिए न जानने वालों लोगो को पागल बनाते है और राज करते है। मुझे यह लिखना तो नही चाहिए था, पर मैंने लिखा है। क्योंकि मुझे नैनीताल जा कर मौलाना साहब की बात सुन कर मुझे जो लगा मैंने यह लिखा अगर कुछ भी गलत लिखा हो तो मुझे माफ़ करें।

आपकी जानकारी के लिए 

  कैसे जाएँ दिल्ली से नैनीताल 

नैनीताल के लिए दैनिक बस सेवा दिल्ली और काठगोदाम से उपलब्ध है। इस रूट में वॉल्वो, एसी और नॉन एसी जैसे कोच उपलब्ध हैं। दिल्ली से रात भर की बस में चढ़ना नैनीताल पहुँचने का सबसे सुविधाजनक तरीका है। लगभग 34 किमी दूर स्थित काठगोधाम रेलवे स्टेशन, नैनीताल का निकटतम रेलवे स्टेशन है।

कहाँ ठहरें नैनीताल में 

नैनीताल में ठहरने के लिए सबसे अच्छी जगहों की तलाश करने वाले किसी व्यक्ति के लिए, विकल्प मुख्य शहर (या माल रोड) से कम से कम 5 किमी दूर हैं - नैनीताल के रंगों का आनंद लेने के लिए काफी करीब है, फिर भी इसके बिन बुलाए भीड़ भरे पागलपन से बहुत दूर है।

नैनीताल में देखने के सबसे अच्छे स्थान 

  • नैनीताल झील। 2,866। जल निकायों। ...
  • मुक्तेश्वर मंदिर। 352. धार्मिक स्थल। ...
  • उच्च ऊंचाई वाला चिड़ियाघर। 807. चिड़ियाघर। ...
  • इको केव गार्डन। 629. पार्क • उद्यान। ...
  • देवी नैना देवी। 863. धार्मिक स्थल। ...
  • नैना चोटी। 221. पर्वत। ...
  • स्नो व्यू पॉइंट। 538. लुकआउट्स। ...
  • पंगोट और किलबरी पक्षी अभयारण्य। 110. प्रकृति और वन्यजीव क्षेत्र।

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